#CliamteChange
#ClimateChange(जलवायु परिवर्तन) के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन का खतरा पूरे विश्व का खतरा है और इससे मानव जाति के अस्तित्व को खतरा है मानव का जीवन अस्त-व्यस्त होने लग गया है। इस जलवायु परिवर्तन के मानव जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड रहें हैं
1. तापमान में सामान्य से अधिक बढ़ोत्तरी:- जलवायु परिवर्तन के दौरान पृथ्वी का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ रहा है। पृथ्वी पर सामान्य से अधिक तापमान बढ़ने के कारण विश्व के पर्वतों की चोटियों पर जमी बर्फ लगातार पिघलने लग गई है। अनेक देशों की फसलों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहे हैं। ऋतु परिवर्तनों में असन्तुलन बन गया है। जिसके कारण मानव व पशु पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
2. समुद्री स्तर का लगातार बढ़ना:- जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जिनका जल नदियों के द्वारा समुद्र में पहुँच रहा है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।एक अनुमान के अनुसार यदि समुद्र जलस्तर एक मीटर बढ़ जाये तो इससे भारत के 75 लाख लोग बेघर हो जाएँगे।
3. प्राकृतिक आपदाओं का खतरा:- जलवायु परिवर्तन के कारण चरम घटनाओं की उत्पत्ति में होने वाली बढ़ोत्तरी भी मानव को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी। चक्रवात, भूस्खलन आदि घटनाएँ मानव जीवन को प्रभावित करेंगी।
जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम
जलवायु परिवर्तन के कारण मानव जीवन पर अनेक प्रकार की आपदाएँ आने की सम्भावनाएँ बढ़ गई हैं।
1. समुद्री जलस्तर बढ़ने के कारण तटीय क्षेत्रों के निमन भागों के जलमग्न होने से तटीय बाढ़ खतरा बढ़ जाएगा।
2. पहले से ही पानी की कमी की समस्या झेल रहे क्षेत्रों में पानी की मात्रा में और गिरावट आने के कारण अधिक समस्या उत्पन्न हो रही है।
4. जलवायु परिवर्तन के कारण कम वर्षा होने से कृषि उत्पादन में कमी आई है। जिसके परिणामस्वरूप खाद्य फसलों में कमी हो गई है।
5. खाद्य फसलों तथा खाद्य पदार्थों की कमी के कारण लोग भुखमरी, कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। जिससे मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
6. जलवायु परिवर्तन के कारण जानवरों तथा पौधों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
7. अधिक तापमान से निजात पाने के कारण अतिरिक्त ऊर्जा के संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है जिसके कारण वातावरण में और अधिक गैसों का जमाव हो रहा है।
8. हिमनद के पिघलने से भूस्खलन तथा हिमस्खलन की घटनाएँ सामान्य हो गई हैं।
चलो "खड़े हो जाओ, बोलो, और इसे नियंत्रित करने के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सामूहिक रूप से आवाज उठाएं क्योंकि यह विश्व और ग्रह के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है"
मानवता रक्षा और विकास समिति (MRVS)
जलवायु परिवर्तन का खतरा पूरे विश्व का खतरा है और इससे मानव जाति के अस्तित्व को खतरा है मानव का जीवन अस्त-व्यस्त होने लग गया है। इस जलवायु परिवर्तन के मानव जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड रहें हैं
1. तापमान में सामान्य से अधिक बढ़ोत्तरी:- जलवायु परिवर्तन के दौरान पृथ्वी का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ रहा है। पृथ्वी पर सामान्य से अधिक तापमान बढ़ने के कारण विश्व के पर्वतों की चोटियों पर जमी बर्फ लगातार पिघलने लग गई है। अनेक देशों की फसलों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहे हैं। ऋतु परिवर्तनों में असन्तुलन बन गया है। जिसके कारण मानव व पशु पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
2. समुद्री स्तर का लगातार बढ़ना:- जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जिनका जल नदियों के द्वारा समुद्र में पहुँच रहा है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।एक अनुमान के अनुसार यदि समुद्र जलस्तर एक मीटर बढ़ जाये तो इससे भारत के 75 लाख लोग बेघर हो जाएँगे।
3. प्राकृतिक आपदाओं का खतरा:- जलवायु परिवर्तन के कारण चरम घटनाओं की उत्पत्ति में होने वाली बढ़ोत्तरी भी मानव को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी। चक्रवात, भूस्खलन आदि घटनाएँ मानव जीवन को प्रभावित करेंगी।
जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम
जलवायु परिवर्तन के कारण मानव जीवन पर अनेक प्रकार की आपदाएँ आने की सम्भावनाएँ बढ़ गई हैं।
1. समुद्री जलस्तर बढ़ने के कारण तटीय क्षेत्रों के निमन भागों के जलमग्न होने से तटीय बाढ़ खतरा बढ़ जाएगा।
2. पहले से ही पानी की कमी की समस्या झेल रहे क्षेत्रों में पानी की मात्रा में और गिरावट आने के कारण अधिक समस्या उत्पन्न हो रही है।
4. जलवायु परिवर्तन के कारण कम वर्षा होने से कृषि उत्पादन में कमी आई है। जिसके परिणामस्वरूप खाद्य फसलों में कमी हो गई है।
5. खाद्य फसलों तथा खाद्य पदार्थों की कमी के कारण लोग भुखमरी, कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। जिससे मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
6. जलवायु परिवर्तन के कारण जानवरों तथा पौधों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
7. अधिक तापमान से निजात पाने के कारण अतिरिक्त ऊर्जा के संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है जिसके कारण वातावरण में और अधिक गैसों का जमाव हो रहा है।
8. हिमनद के पिघलने से भूस्खलन तथा हिमस्खलन की घटनाएँ सामान्य हो गई हैं।
चलो "खड़े हो जाओ, बोलो, और इसे नियंत्रित करने के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सामूहिक रूप से आवाज उठाएं क्योंकि यह विश्व और ग्रह के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है"
मानवता रक्षा और विकास समिति (MRVS)
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