#Delhi Election #Nota
जैसा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि कल 08 फरवरी 2020 को दिल्ली में चुनाव है।
अगर आपको लगता है भारतीय जनता पार्टी देश और उन प्रदेशों जहाँ इसकी राज्य सरकार है वहां अच्छा काम कर रही है,और दिल्ली में भी कर सकती है तो कमल का बटन दबाकर भाजपा को वोट दें।
अगर आपको लगता है आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अच्छा काम किया है,तो झाड़ू का बटन दबाकर आम आदमी पार्टी को को वोट दें।
अगर आपको लगता है कांग्रेस पार्टी ने देश/राज्यों में अच्छा काम किया है , और उन प्रदेशों जहाँ इसकी राज्य सरकार है वहां अच्छा काम कर रही है,और दिल्ली में भी कर सकती है तो हाथ/पंजे का बटन दबाकर कांग्रेस को वोट दें।
किन्तु अगर आपको किसी राजनीतिक पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे? निर्वाचन आयोग (EC) ने ऐसी व्यवस्था की है कि वोटिंग प्रणाली में एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि यह दर्ज हो सके कि कितने फीसदी लोगों ने किसी को भी वोट देना उचित नहीं समझा है.
किन्तु अगर आपको लगता है की इनमे से कोई भी पार्टी या किसी भी पार्टी का कोई भी चुनावी सदस्य ने ना ही अच्छे काम किये हैं, ना ही कर रहे हैं, और ना ही कर सकते हैं तो चुनाव आयोग द्वारा जनता का विरोध दर्ज करने के लिए दिए गए "नोटा (NOTA)" के बटन को दबाकर अपना विरोध दर्ज करें, जिसका मतलब होगा की आप किसी भी पार्टी या उनके किसी भी सदस्य को योग्य नहीं मानते हैं। उपरोक्त में से कोई भी नहीं", या संक्षिप्त रूप में "नोटा (NOTA)" जिसे "सभी के खिलाफ" भी जाना जाता है।
NOTA का मतलब नान ऑफ द अबव यानी इनमें से कोई नहीं है. अब चुनाव में आपके पास एक और विकल्प होता है कि आप 'इनमें से कोई नहीं' का बटन दबा सकते हैं. यह विकल्प है NOTA. इसे दबाने का मतलब यह है कि आपको चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है.
ईवीम मशीन में NONE OF THE ABOVE यानी NOTA का बटन गुलाबी रंग का होता है.
वोटों की गिनती की समय NOTA पर डाले गए वोट को भी गिना जाता है. NOTA में कितने लोगों ने वोट किया, इसका भी आंकलन किया जाता है.चुनाव के माध्यम से पब्लिक का किसी भी उम्मीदवार के अपात्र, अविश्वसनीय और अयोग्य अथवा नापसन्द होने का यह मत (NOTA) केवल यह संदेश होता है कि कितने प्रतिशत मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते.
नोटा एक ऐसा विकल्प है जिसे गिना जरूर जाता है लेकिन इससे चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ता है. सिर्फ ट्रेंड पता चलता है कि आखिर कितने प्रतिशत मतदाता या वोटर किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते हैं. यह विकल्प रद्द मत होता है. आपको बता दें कि नोटा का मतलब है नन ऑफ द एबव, यानी इनमें से कोई नहीं. नोटा का यह विकल्प 2015 से पूरे देश मे लागू हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को खारिज करने के मतदाताओं के अधिकार को बरकरार रखते हुए कहा कि यह देश की राजनीतिक व्यवस्था को साफ करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.
चलो "खड़े हो जाओ, बोलो, और सामूहिक रूप से निडर होकर कहीं भी कभी भी जनता को किसी भी चुनावी उम्मीदवार को अयोग्य बताने के लिए चुनाव में नोटा (कोई भी नहीं) के बारे में जागरूक करो "
पंकज कुमार
संस्थापक
राष्ट्रीय अध्यक्ष
मानवता रक्षा एवं विकास संगठन (MRVS)
देश/समाज में बुराइयों/गलत कामों के खिलाफ आवाज उठाने, काम करने, और उन्हें रोकने के लिए एक सामाजिक संगठन
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